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दिया समाचार > जयपुर
आज विश्व जनसंख्या दिवस है। क्षेत्रफल में देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद राजस्थान आबादी के लिहाज से 7वें नंबर पर है। वहीं, राजस्थान की जनसंख्या वृद्धि की बात करें तो गठन के बाद से बीते 7 दशकों में राजस्थान की आबादी 426% तक बढ़ी है। जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान की कुल आबादी 6,85,48,437 आंकी गई। वहीं, मार्च 2021 में यह अाबादी अनुमानित 8,01,29,740 मानी जा रही है। हालांकि, आधिकारिक आंकड़े जनगणना होने के बाद ही जारी होंगे लेकिन कोरोना टीकाकरण को लेकर सरकार की तरफ से प्रदेश की जो प्रोजेक्टेड आबादी मानी गई है वह यही है।
1951 में प्रदेश की कुल जनसंख्या 1.52 करोड़ थी, जो अब करीब 8.01 करोड़ है
1901 में राजस्थान में अजमेर और मेवाड़ क्षेत्र ही थे। इनकी कुल आबादी 10294090 थी जो 2011 में बढ़कर 68548437 हो गई। मार्च 2021 में यह अनुमानित 80129740 हो गई।
राजस्थान का गठन 30 मार्च 1949 को हुआ। 1951 में जनगणना हुई। इसमें जनसंख्या 15209797 आंकी गई। जयपुर की जनसंख्या 1656097 थी।
7 दशकों में आबादी करीब 426% बढ़ी है।
45 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों की कुल आबादी में हिस्सेदारी 19% है जबकि 0-9 साल तक के बच्चों की आबादी सबसे ज्यादा लगभग 22% है।
आबादी नियंत्रण के लिए यूपी जैसा कानून राजस्थान में दो दशक पहले ही बन चुका
जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए जिस कानून काे उत्तर प्रदेश सरकार लाने जा रही है। ऐसा कानून ताे करीब दो दशक पहले राजस्थान में तत्कालीन भैरा सिंह सरकार लागू कर चुकी है। तत्कालीन भाजपा सरकार ने 1994-95 में कानून बनाया था कि जिन जनप्रतिनिधियाें के दाे से अधिक बच्चे हाेंगे, वे पंचायत व निकाय चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उसके बाद राजस्थान में 2002 में ही यह कानून बना दिया था कि दो बच्चे होने पर सरकारी नाैकरी नहीं मिल सकती।
सरकारी नाैकरी में आने के बाद दो से ज्यादा बच्चे हुए तो प्रोमोशन रोक दिया जाएगा। बाद में इसे बदलकर 5 साल और 2016-17 में तीन साल कर दिया गया। यानी किसी सरकारी कार्मिक को 3 बच्चे हो गए तो उसका प्रोमोशन तीन साल तक नहीं हो पाएगा।
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