PM मोदी, अमित शाह व सचिन पायलट समेत कई नेताओं ने महाराणा प्रताप को जयंती पर किया याद
नई दिल्ली- आज वीर सपूत, महान योद्धा और अदभुत शौर्य व साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप की जयंती है। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग (पाली) में हुआ था। इस मौके पर देश भर के कई नेता उन्हें याद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर याद करते हुए उन्हें कोटि-कोटि नमन किया। पीएम मोदी के साथ ही कई नेताओं ने भी उन्हें याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर याद करते कहा कि भारत माता के महान सपूत महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। देशप्रेम, स्वाभिमान और पराक्रम से भरी उनकी गाथा देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने आज महाराणा प्रताप की जयंती पर उन्हें याद करते हुए लिखा कि अपनी वीरता से भारतीय इतिहास को सुशोभित करने वाले महान योद्धा महाराणा प्रताप जी का जीवन अदम्य साहस, स्वाभिमान व राष्ट्रभक्ति जैसे गुणों से पल्लवित था। जिनका जीवनसंघर्ष व राष्ट्रप्रेम हर भारतीय को गौरवान्वित करता हो ऐसे अतुल्य पराक्रमी की जयंती पर उनके चरणों में कोटि कोटि नमन।
शिवसेना सांसद आदित्य ठाकरे ने महाराणा प्रताप की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि भारत माता के वीर सपूत, पराक्रमी वीर योद्धा, शिरोमणि महाराणा प्रताप को जन्मदिन की बधाई !
सचिन पायलट ने महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर याद करते हुए लिखा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले, राजस्थान की आन-बान-शान के प्रतीक, राजस्थान के गौरव, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की जयंती पर मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।महाराणा प्रताप जी का त्याग, तपस्या और संघर्ष हम सबके लिए प्रेरणादायक है।
यहां जानें मेवाड़ के महान हिन्दू शासक महाराणा प्रताप के बारे में 5 बातें
1- महाराणा प्रताप का जन्म महाराजा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर में हुआ था। उन्हें बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था जिनकी संगत में उन्होंने शुरुआती दिन बिताए थे। भीलों की बोली में कीका का अर्थ होता है - 'बेटा'।
2- महाराणा प्रताप के पास चेतक नाम का एक घोड़ा था जो उन्हें सबसे प्रिय था। प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का अपना स्थान है। उसकी फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका रही।
3- वैसे तो महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ीं लेकिन सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी- हल्दीघाटी का युद्ध जिसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से आमना-सामना हुआ। 1576 में हुए इस जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों का सामना किया। यह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध है।
इस युद्ध में प्रताप का घोड़ा चेतक जख्मी हो गया था। इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था। अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा ने कभी भी स्वाभिमान को नहीं छोड़ा। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया।
4- 1582 में दिवेर के युद्ध में राणा प्रताप ने उन क्षेत्रों पर फिर से कब्जा जमा लिया था जो कभी मुगलों के हाथों गंवा दिए थे। कर्नल जेम्स टॉ ने मुगलों के साथ हुए इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन कहा था। 1585 तक लंबे संघर्ष के बाद वह मेवाड़ को मुक्त करने में सफल रहे।
महाराणा प्रताप जब गद्दी पर बैठे थे, उस समय जितनी मेवाड़ भूमि पर उनका अधिकार था, पूर्ण रूप से उतनी भूमि अब उनके अधीन थी।
5- 1596 में शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी जिससे वह कभी उबर नहीं पाए। 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया।