अब नहीं होगा जयपुर का बंटवारा, लोगों के विरोध को देख गहलोत सरकार ने वापस खींचे कदम

राजस्थान

जयपुर  राजस्थान के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने शनिवार को अपने घर पर एक संवाददाता सम्मेलन में आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि जयपुर जिले को उत्तर जयपुर और दक्षिण जयपुर में विभाजित नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान 17 मार्च को सूबे के 18 जिलों के विभाजन की घोषणा की थी।

खाचरियावास ने कहा- कांग्रेस और बीजेपी दोनों के विधायक जयपुर को विभाजित नहीं करने पर सहमत हुए है। अब जयपुर का बंटवारा नहीं होगा, यह एक ही जिला रहेगा। यह पहले की तरह राजस्थान की राजधानी रहेगा। गहलोत ने विधानसभा में कहा था कि सरकार ने हर जिले की विशाल भौगोलिक मात्रा और अत्यधिक जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए 19 नए जिलों के गठन की योजना बनाई है। जिला मुख्यालय तक लोगों की पहुंच आसान बनाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया था।

 

जयपुर के विभाजन की घोषणा से स्थानीय लोग नाराज थे। उन्होंने एक महीने तक विरोध प्रदर्शन किया था। लोगों ने आमेर और संगनेर तहसीलों को मिलाकर एक समग्र जयपुर जिले के समर्थन में मार्च निकाला था। इसके लिए लोगों ने एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था। लोगों ने गहलोत से जयपुर के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और परंपरा को देखते हुए अविभाजित रखने का भी आग्रह किया था। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने इसी मांग को लेकर जनसभा की थी।

जयपुर के बंटवारे का विरोध करने के लिए शुरू किए गए म्हारो जयपुर, प्यारो जयपुर अभियान के कुछ लोग आज सुबह खाचरियावास के घर पहुंचे। इस पर खाचरियावास ने लोगों को भरोसा दिया कि जयपुर नगर निगम हेरिटेज और जयपुर के 250 वार्ड एक ही जिले के अंतर्गत रहेंगे। सिविल लाइंस (जयपुर) निर्वाचन क्षेत्र से विधायक ने कहा- जयपुर की आन-बान-शान के लिए, जयपुर के स्वाभिमान के लिए हम मर सकते हैं, झुक नहीं सकते।

उत्तर और दक्षिण जयपुर के अलावा, मुख्यमंत्री ने जिन अन्य नए जिलों की घोषणा की थी उनमें अनूपगढ़ (गंगानगर), बालोतरा (बाड़मेर), ब्यावर (अजमेर), डीग (भरतपुर), डीडवाना-कुचामन (नागौर), गंगापुर सिटी (सवाई माधोपुर), केकड़ी (अजमेर), खैरताल (अलवर), नीम का थाना (सीकर), सलूम्बर (उदयपुर), सांचौर (जालौर), शाहपुरा (भीलवाड़ा), दूदू और कोटपुतली शामिल हैं।

 

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