जयपुर गोविंद देव जी मंदिर की 250 साल पहले हुई थी स्थापना जहां सच्चे दिल से प्रार्थना करने पर किसी भी भक्त की मनोकामना अधूरी नहीं रहती है.

 

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  • जयपुर  का गोविंद देव जी मंदिर, जहां सच्चे दिल से प्रार्थना करने पर किसी भी भक्त की मनोकामना अधूरी नहीं रहती है. इतना ही नहीं, यहां राधा के साथ विराजे भगवान कृष्ण के दर्शन करने से भक्तों का जीवन भी धन्य हो जाता है.
  • जयपुर शहर कई भव्य पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है. चाहे किले हों या गार्डन, यहां की खूबसूरती पर्यटकों का खूब ध्यान खींचती है. पर्यटन स्थलों के साथ-साथ जयपुर में कई तीर्थ स्थल भी मौजूद हैं, जहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है. ऐसा ही एक तीर्थ स्थल है जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर, जहां सच्चे दिल से प्रार्थना करने पर किसी भी भक्त की मनोकामना अधूरी नहीं रहती है. इतना ही नहीं, यहां राधा के साथ विराजे भगवान कृष्ण के दर्शन करने से भक्तों का जीवन भी धन्य हो जाता है.

    कहा जाता है कि जयपुर के इस गोविंद देव जी मंदिर भगवान कृष्ण का श्रृंगार एक राजा की तरह किया जाता है. इतना ही नहीं, उनकी पूजा अर्चना भी बिल्कुल राजा की तरह ही होती है. कहा जाता है कि यहां मौजूद भगवान कृष्ण की प्रतिमा पहले वृंदावन के मंदिर में स्थापित की गई थी, जिसे बाद में राजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा परिवार के देवता के रूप में यहां पुन: स्थापित किया गया था.जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर का इतिहास करीब 250 साल पुराना है. कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना जयपुर शहर की स्थापना से भी पहले हुई थी. हालांकि उन दिनों गोविंद देव जी की प्रतिमा जयपुर परकोटे के बीच नहीं बल्कि आमेर के पास कनक वृंदावन में विराजमान थी. इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि भगवान गोविंद देव जी राजा जयसिंह के सपने में आए थे और उन्होंने कहा था कि मुझे ऐसी जगह पर रखो जहां से जनता आसानी से मेरा दर्शन कर सके. सपने में ठाकुर जी ने खुद ही स्थापना की जगह बताई थी. इसके बाद ही गोविंद देव जी की प्रतिमा को जयपुर परकोटे में विराजमान किया गया था.

    मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यह पहले सात मंजिल का हुआ करता था, जिसमें कार्तिक मास में आकाश दीप जलता था. इस दीप की रोशनी इतनी तेज होती थी कि यह दिल्ली के लाल किले से भी साफ नजर आता था. लेकिन जब औरंगजेब ने यह रोशनी देखी तो उसे मंदिर के बारे में पता चल गया. ऐसे में उसने बाद में तीन मंजिल तुड़वा दी

  • कैसे पहुंचें: जयपुर जंक्शन से गोविंद देव जी मंदिर की दूरी मात्र 4.5 किलोमीटर है, ऐसे में लोग निजी या सार्वजनिक वाहन कर मात्र 17 मिनट में यहां तक पहुंच सकते हैं. वहीं जयपुर एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी 14 किलोमीटर है, ऐसे में निजी वाहन कर पर्यटक मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं. गोविंद देव जी मंदिर जयपुर के सार्वजनिक व निजी वाहन रूटों से जुड़ा हुआ है, ऐसे में भक्तों को यहां तक पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होगी.

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