राजस्थान ने WHO की भी नहीं मानी सरी लहर को रोकने के लिए कोरोना टेस्टिंग नहीं घटाने का दिया सुझाव था,लेकिन 48% जांचें कम कीं

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जयपुर( दिया समाचार)-

राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर काबू आने के बाद चिकित्सा विभाग ने सैंपलिंग 48 फीसदी तक घटा दी है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि जब किसी में बीमारी के लक्षण ही नहीं तो जबर्दस्ती कैसे टेस्ट करें? लेकिन एक्सपर्ट के अनुसार यह गलत है। WHO और एक्सपर्ट ने यह सलाह दी है कि पहली लहर में सरकारों ने कोरोना रोगी कम होने पर टेस्ट कम कर दिए थे, इस वजह से वे दूसरी लहर का अंदाजा नहीं लगा पाए। अगर तीसरी लहर को रोकना है तो टेस्ट कम नहीं करने चाहिए। इस बीच, सामने आया कि कुल क्षमता का 52% टेस्ट करने में भी विभाग के पसीने छूट रहे हैं।

राजधानी जयपुर में हर दिन औसतन 6 हजार से ज्यादा लोगों की जांचें हाे रही हैं। पहले यह जांच 14 हजार के करीब थी। उधर, स्थिति ये है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के बनाए सैंपल केंद्रों पर पहले जो भीड़ होती थी, वहां अब इक्के-दुक्के लोग पहुंच रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इतनी जांचें कैसे हो रही हैं?

भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि विभाग जयपुर शहर और ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग जगह मोबाइल वैन लगाकर भी रेंडम सैंपलिंग करवा रहा है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर भी टीम वापस उतार दी है।

पहले 4 हजार तक रोगी मिल रहे थे अब 100
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से मिले डेटा के मुताबिक अप्रैल के आखिरी सप्ताह और मई के पहले-दूसरे सप्ताह तक जहां हर रोज औसतन 3 से 4 हजार संक्रमित मिल रहे थे। अब संक्रमितों की संख्या 100 से भी कम आने लगी है। जून के पिछले 14 दिन की स्थिति देखें तो कुल 2068 केस आए हैं। पॉजिटिविटी रेट भी 27 फीसदी से घटकर 2 फीसदी से भी नीचे आ गई है। जांचे भी 54 फीसदी तक कम हो गई है।

10 फीसदी जांचें तो केवल रेलवे स्टेशन पर ही हो रही हैंु
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो जांचों के टारगेट का 10 फीसदी तक केवल जयपुर जंक्शन से ही पूरा हो जाता है। यहां चिकित्सा विभाग की टीम हर रोज 500 से 600 यात्रियों की जांच करती है। इसमें सबसे ज्यादा टेस्ट एंटिजन किए जा रहे हैं, इसका परिणाम केवल 4-5 मिनट के अंदर आ जाता है। जबकि चिकित्सा विभाग ने 23 अप्रैल से इसी जंक्शन पर यात्रियों के सैंपल लेने की व्यवस्था को बंद कर दिया था। उस समय अधिकारियों का तर्क था कि दूसरी सेंटरों पर जांच करवाने वालों की संख्या ज्यादा आ रही है और डोर टू डोर सर्वे में मैन पॉवर की जरूरत है। इसलिए टीम को मौके से हटा दिया था, जिसे अब जून में दोबारा लगा दिया।

रोज होती थीं 14 हजार जांचें
अप्रैल के अंतिम 10 दिन से लेकर मई के दूसरे सप्ताह तक कोरोना का पीक रहा। इस दौरान हर रोज प्रशासन जयपुर में औसतन 14 हजार लोगों की RTPCR टेस्ट कर रहा था। उस समय जयपुर में हर सप्ताह संक्रमण की दर औसतन 25 फीसदी रहती थी, लेकिन जून में पिछले दो सप्ताह में हर रोज अब 6-7 हजार के बीच जांचें हो रही। इसमें ज्यादातर जांचें तो जयपुर में संचालित मोबाइल वैन, रेलवे स्टेशन की टीम और ग्रामीण इलाकों में लगी टीमें कर रही है। इसके चलते इतनी जांचें हाे पा रही हैं।
इस मामले में जयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. नरोत्तम शर्मा का कहना है कि अब संक्रमण का प्रभाव बहुत कम हो गया है, जिसके कारण लोग कम बीमार हो रहे है और जांचें करवाने भी कम आ रहे है। फिर भी हम सतर्कता बरते हुए है और डोर टू डोर और मोबाइल वैन के जरिए रैण्डम सैंपलिंग करवा रहे है। इसके साथ ही दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों पर मॉनिटरिंग हो सके इसके लिए रेलवे स्टेशन पर भी टेस्टिंग की सुविधा दोबारा शुरू कर दी है, ताकि कोई भी नया केस आने पर उसे तुरंत डिटेक्ट करके उपचार किया जा सके।

 

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